साहित्य समाज का दर्पण है, इतिहास अतीत का उसमें अर्पण हैI साहित्य समाज का दर्पण है, इतिहास अतीत का उसमें अर्पण हैI
जिन ख्वाबों में खोया हूँ मैं , उनका कोई दर्पण नहीं । जिन ख्वाबों में खोया हूँ मैं , उनका कोई दर्पण नहीं ।
सही दिशा समाज को साहित्य ही दिखलाता है सही दिशा समाज को साहित्य ही दिखलाता है
शिक्षक समाज का दर्पण है, करते सब कुछ अर्पण है। शिक्षक समाज का दर्पण है, करते सब कुछ अर्पण है।
दुर्गा काली का भी रूप याद दिलाऊँगी दुर्गा काली का भी रूप याद दिलाऊँगी
मैं भी कुछ अच्छी कृतियाँ कर दिखाऊँगी समाज को दर्पण। मैं भी कुछ अच्छी कृतियाँ कर दिखाऊँगी समाज को दर्पण।